INDO HOLLAND GARDENING
we have many products to increase the yield per acre of our cultivation of all types of vegetables such as:
"अपनी भूमि अपना बीज "
हमारे देश में अभी भी बहुत से प्रचलित देशी किस्म के सब्जी है। उनके देशी बीज हैं। जिसका परिणाम व गुणवत्ता बहुत से हायब्रीड तथा उन्नत किस्म के विदेशी किस्मों से भी उत्तम परिणामयुक्त है। हमें केवल उनका खोज, संकलन,संरक्षण करना है। इन्ही सब देशी किस्मों में से कुछ किस्मों को हम आपके समक्ष ””सारनाथ सीड्स“ ब्रांडनाम के अन्तगॅत प्रस्तुत कर रहे है।जो पूर्णतया ओपेन पॅलिनेटेड बीज है।
करैला रानी (Bitter Gourd RANI)
करैला रानी का फल हरे रंग के कटीले आकर्षक होते है। इसकी लम्बाई ६ से ७ इंच औसत वजन ९० से १०० ग्राम होती है। सहारे(Staking) से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। गर्मी के मौसम में जमीन पर ही बेल फैलाते हैं। वायरस के लिए सहनशील है। अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली किस्म है। इसकी बोवाई जनवरी,फरवरी,मार्च एवं जून,जुलाई माह में करें। प्रथम तुड़ाई ५५ से ६० दिन में होती है।
करैला मंसूरी(Bitter Gourd MANSOORI)
करैला मंसूरी का फल गहरे हरे रंग के गोल कांटेदार (Smooth Spiny)होते है। फल की औसत लम्बाई ८ इंच होती है। सहारे(Staking) से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। गर्मी एवं बरसात दोनों मौसम में उपयुक्त अगैती किस्म हैं। अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली किस्म है। इसकी बोवाई जनवरी,फरवरी एवं मई,जून,जुलाई माह में करें। जाड़े में भी अगस्त-सितम्बर माह में कर सकते है। प्रथम तुड़ाई ५० से ५५ दिनों में कर सकते है। वायरस के लिए सहनशील है।
करैला मधुहारी (Striking Variety Bitter Gourd MADHUHARI)
यह करैला मुख्यत:बरसात एवं सर्दी के शुरूआत में लगा सकते है। फल की औसत लम्बाई १५ से १८ इंच होती है। इसका रंग गहरा हरा है।धारियाँ सीधी होती है। इसमें बीज की मात्रा कम होती है।इसे मचान (Staking) लगाना जरूरी है।यह काफी उन्नत देशी किस्म है। काफी लम्बे अवधि से पुर्वी उत्तरप्रदेश में इसकी खेती होती है। यह वायरस के लिए सहनशील है।
लौकी श्रेया (Bitter Gourd SHREYA)
इसका फल बोतलाकार पतले एवं मुलायम होते है। फल की औसत लम्बाई १५ से १८ इंच तथा औसत वजन ८०० से ९०० ग्राम होती है। प्रारंभिक गाँठों के बाद प्रत्येक गाँठ पर फल लगते है। यह वायरस के लिए सहनशील है। इसकी बोवाई जनवरी,फरवरी एवं मई,जून,जुलाई ,अगस्त-सितम्बर तीनों माह में कर सकते है। इसके फल को आसानी से अन्य जिलों के मार्केट में सुरक्षित ले जाया जा सकता है।
लौकी ऐश्वर्या(Bitter Gourd AISHWARYA)
इसका फल बोतलाकार पतले एवं मुलायम तथा आकर्षक होते है। फल की औसत लम्बाई १६ से १८ इंच तथा औसत वजन ९०० से १००० ग्राम होती है। यह अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली संशोधित किस्म है। इसकी बोवाई जनवरी,फरवरी एवं मई,जून,जुलाई ,अगस्त-सितम्बर तीनों माह में कर सकते है। मचान (Staking) लगाने से अत्यधिक उत्पादन कर सकते है। बरसात एवं सर्दी के मौसम में मचान (Staking) अवश्य लगायें।
गोलकद्दू टुनटुन(ROUND GOURD TUNTUN)
यह देशी अनुसंधानित कददू है। यह अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली संशोधित किस्म है। इसका आकार लटटू की तरह होता है। इसका औसत वजन १ से १.५किलोग्राम का होता है। यह मुलायम ,रेशेयुक्त सुंदर ताजे हल्के रंग का होता है। यह अर्ली किस्म का है। इसका प्रथम फल ६० से ६५ दिन में आता है। एक पौधे में १० से १५ फल लगते है। फल की मार्केट वैल्यू अधिक मिलती है।
लोबिया भारती(COW PEA BHARTI)
इसका पौधा झाड़ीदार होता है। सहारे (Staking) की आवश्यकता नहीं है। इसके फल गहरे हरे रंग के १० से १२ इंच के होते हैं। यह येलोवेन वायरस के प्रति सहनशील किस्महै। बोआई तीनों मौसम में वर्ष भर कर सकते है। प्रथम तुड़ाई ४५ से ५० दिनों में कर सकते है। यह अत्यधिक फल एवं लंबे समयावधि तक उत्पादन देनेवाली किस्म है। उत्तर भारत के लिए विशेष अनुमोदित किस्म है।
लोबिया गंगा(COW PEA GANGA)
इसका पौधा झाड़ीदार होता है। सहारे (Staking) की आवश्यकता नहीं है। इसके फल हल्के हरे रंग के १० से १२ इंच के होते हैं। इसकी बोवाई दिसंबर,जनवरी,फरवरी एवं जून,जुलाई माह में कर सकते है। प्रथम तुड़ाई ४५ से ५० दिनों में कर सकते है।यह कामन वायरस के लिए सहनशील है।
लोबिया लाफाजापानी(I.H.G-1cOW Pea Lafa japani)
इसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं। सहारे (Staking) की आवश्यकता होती है। फल की औसत लम्बाई १५ से १८ इंच होती है। एक साथ २ से ३ फलियाँ एक बंच में होती है। यह अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली किस्म है। इसकी बोवाई दिसंबर से जनवरी एवं जून से अगस्त-सितम्बर माह में कर सकते है।
भिण्डी सुप्रिया(BHINDI SUPRIYA)
यह येलोवेन वायरस के प्रति सहनशील किस्म है। इस भिण्डी की फलियों की गाँठें काफी कम अंतराल पर होती हैं। भिण्डी पतला,औसत लंबाई युक्त(मार्केट के लिए उपयुक्त )दानें उभरते नहीं है। प्रथम तुड़ाई ४५ से ५० दिनों में कर सकते है। इसकी बोवाई दिसंबर से फरवरी एवं बरसात के मौसम में अप्रैल से जुलाई माह में कर सकते है।
खीरा काशी उत्सव((Cucumber KASHI UTSAV)
गर्मी एवं वर्षाकाल दोनों मौसम के लिए उपयुक्त उत्तम खीरा है। इसके फल सीधे ८ से १० इंच लंबे फल हल्के हरे तथा सफेदी लिए हुए (देशीखीरेटाइपकलर) हल्की लाइनिंग युक्त होते हैं। इसकी प्रथम तुड़ाई ४५ से ५० दिनों में कर सकते है।
खीरा शुभांजलि ४०(Cucumber SHUBHANJALI-40)
यह गर्मीकाल के लिए अगेती किस्म का खीरा है। फल की औसत लंबाई ६ से ८ इंच होती है। फल ४० से ४५ दिन में आ जाते हैं। खीरा सीधा ,बेलनाकार हल्की हरी धारियों से युक्त हल्के हरे (सफेदीलिएहुए) रंग की होती है। इसे दिसंबर से मार्च तथा मई से जून माह में लगाया जा सकता है।
गाजर देशी रेड (रत्ना)(Carrot Deshi Red RATNA)
यह पंजाब के इन्द्री नामक देशी वेरायटी के सेलेक्शन के उपरांत तैयार की गई है। यह सुंदर लाल सुर्ख रंग का स्वादिष्ट व मीठा होता है। इसमें बाह्य रेशे ना के बराबर होते हैं। यह लंबी साइज का सुंदर गाजर होता है। इस गाजर का मार्केट वैल्यू अधिक है तथा डिमांड अति उत्तम है।
बैंगन गोल बारहमासी – १४(Brinjal Round BARAHMASI-14)
यह बनारसी (Traditional) किस्म है। यह चोखा खाने के लिए सबसे अच्छी लोकल किस्म है क्योंकि इसके गूदे में बीज की मात्रा कम तथा गुदा काफी मुलायम होता है। इसका रंग काफी आकर्षक बैंगनी होती है। फल का औसत वजन २५० से ४०० ग्राम का होता है। अन्य प्रचलित देशी या हायब्रिड किस्मों से ज्यादे फल लगते हैं। लंबी अवधि तक फल आते रहते हैं।
चौलाई हरी पत्ती CHAULAI SARNATH(Hari Patti)
इसके पत्ते हरे तथा गोल आकार के होते है। लेट बोल्टींग के कारण कई बार कटिंग भी होता है।
पालक आलग्रीन(पूसा ज्योति -३१)PALAK ALLGREEN(Pusha Jyoti-31)
यह हरे डंठल वाला चौड़े गद्देदार हरे पत्ते वाला पालक है। इसकी कटाई भी की जा सकती है।
कुम्हणी सारनाथ चक्री(Pumpkin Barahmasi Sarnath Chakri)
यह संशोधित किस्म है। हल्की हरी धारियों से युक्त है। फल चपटे औसत २.५ से ३.५ किग्रा के होते हैं। अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली किस्म है। इसको गर्मी एवं वर्षाकाल दोनों मौसम में लगाया जा सकता है। एक पौधे में १० से १३ फल तक लगते है।
इसके अलावा भिण्डी वी.आर.ओ-६, वी.आर.ओ-१०, लोबिया सी.पी-३, सी.पी-४,चितला दाना,गोमती, कुम्हणी –काशी हरित, बैंगन -काशी तरू ,कोमल,संदेश, लौकी –जी-२,तरोई-पूसा चिकनी, भिण्डी –अरकाअनामिका,ककड़ी-लखनऊ सेलेक्शन ,मूली-पूसा चेतकी लांग,मूली-चाइना चेतकी लांग के भी बीज उन्नत किस्म के उपलब्ध है।
"अपनी भूमि अपना बीज "
हमारे देश में अभी भी बहुत से प्रचलित देशी किस्म के सब्जी है। उनके देशी बीज हैं। जिसका परिणाम व गुणवत्ता बहुत से हायब्रीड तथा उन्नत किस्म के विदेशी किस्मों से भी उत्तम परिणामयुक्त है। हमें केवल उनका खोज, संकलन,संरक्षण करना है। इन्ही सब देशी किस्मों में से कुछ किस्मों को हम आपके समक्ष ””सारनाथ सीड्स“ ब्रांडनाम के अन्तगॅत प्रस्तुत कर रहे है।जो पूर्णतया ओपेन पॅलिनेटेड बीज है।
करैला रानी (Bitter Gourd RANI)
करैला रानी का फल हरे रंग के कटीले आकर्षक होते है। इसकी लम्बाई ६ से ७ इंच औसत वजन ९० से १०० ग्राम होती है। सहारे(Staking) से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। गर्मी के मौसम में जमीन पर ही बेल फैलाते हैं। वायरस के लिए सहनशील है। अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली किस्म है। इसकी बोवाई जनवरी,फरवरी,मार्च एवं जून,जुलाई माह में करें। प्रथम तुड़ाई ५५ से ६० दिन में होती है।
करैला मंसूरी(Bitter Gourd MANSOORI)
करैला मंसूरी का फल गहरे हरे रंग के गोल कांटेदार (Smooth Spiny)होते है। फल की औसत लम्बाई ८ इंच होती है। सहारे(Staking) से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। गर्मी एवं बरसात दोनों मौसम में उपयुक्त अगैती किस्म हैं। अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली किस्म है। इसकी बोवाई जनवरी,फरवरी एवं मई,जून,जुलाई माह में करें। जाड़े में भी अगस्त-सितम्बर माह में कर सकते है। प्रथम तुड़ाई ५० से ५५ दिनों में कर सकते है। वायरस के लिए सहनशील है।
करैला मधुहारी (Striking Variety Bitter Gourd MADHUHARI)
यह करैला मुख्यत:बरसात एवं सर्दी के शुरूआत में लगा सकते है। फल की औसत लम्बाई १५ से १८ इंच होती है। इसका रंग गहरा हरा है।धारियाँ सीधी होती है। इसमें बीज की मात्रा कम होती है।इसे मचान (Staking) लगाना जरूरी है।यह काफी उन्नत देशी किस्म है। काफी लम्बे अवधि से पुर्वी उत्तरप्रदेश में इसकी खेती होती है। यह वायरस के लिए सहनशील है।
लौकी श्रेया (Bitter Gourd SHREYA)
इसका फल बोतलाकार पतले एवं मुलायम होते है। फल की औसत लम्बाई १५ से १८ इंच तथा औसत वजन ८०० से ९०० ग्राम होती है। प्रारंभिक गाँठों के बाद प्रत्येक गाँठ पर फल लगते है। यह वायरस के लिए सहनशील है। इसकी बोवाई जनवरी,फरवरी एवं मई,जून,जुलाई ,अगस्त-सितम्बर तीनों माह में कर सकते है। इसके फल को आसानी से अन्य जिलों के मार्केट में सुरक्षित ले जाया जा सकता है।
लौकी ऐश्वर्या(Bitter Gourd AISHWARYA)
इसका फल बोतलाकार पतले एवं मुलायम तथा आकर्षक होते है। फल की औसत लम्बाई १६ से १८ इंच तथा औसत वजन ९०० से १००० ग्राम होती है। यह अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली संशोधित किस्म है। इसकी बोवाई जनवरी,फरवरी एवं मई,जून,जुलाई ,अगस्त-सितम्बर तीनों माह में कर सकते है। मचान (Staking) लगाने से अत्यधिक उत्पादन कर सकते है। बरसात एवं सर्दी के मौसम में मचान (Staking) अवश्य लगायें।
गोलकद्दू टुनटुन(ROUND GOURD TUNTUN)
यह देशी अनुसंधानित कददू है। यह अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली संशोधित किस्म है। इसका आकार लटटू की तरह होता है। इसका औसत वजन १ से १.५किलोग्राम का होता है। यह मुलायम ,रेशेयुक्त सुंदर ताजे हल्के रंग का होता है। यह अर्ली किस्म का है। इसका प्रथम फल ६० से ६५ दिन में आता है। एक पौधे में १० से १५ फल लगते है। फल की मार्केट वैल्यू अधिक मिलती है।
लोबिया भारती(COW PEA BHARTI)
इसका पौधा झाड़ीदार होता है। सहारे (Staking) की आवश्यकता नहीं है। इसके फल गहरे हरे रंग के १० से १२ इंच के होते हैं। यह येलोवेन वायरस के प्रति सहनशील किस्महै। बोआई तीनों मौसम में वर्ष भर कर सकते है। प्रथम तुड़ाई ४५ से ५० दिनों में कर सकते है। यह अत्यधिक फल एवं लंबे समयावधि तक उत्पादन देनेवाली किस्म है। उत्तर भारत के लिए विशेष अनुमोदित किस्म है।
लोबिया गंगा(COW PEA GANGA)
इसका पौधा झाड़ीदार होता है। सहारे (Staking) की आवश्यकता नहीं है। इसके फल हल्के हरे रंग के १० से १२ इंच के होते हैं। इसकी बोवाई दिसंबर,जनवरी,फरवरी एवं जून,जुलाई माह में कर सकते है। प्रथम तुड़ाई ४५ से ५० दिनों में कर सकते है।यह कामन वायरस के लिए सहनशील है।
लोबिया लाफाजापानी(I.H.G-1cOW Pea Lafa japani)
इसके फल गहरे हरे रंग के होते हैं। सहारे (Staking) की आवश्यकता होती है। फल की औसत लम्बाई १५ से १८ इंच होती है। एक साथ २ से ३ फलियाँ एक बंच में होती है। यह अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली किस्म है। इसकी बोवाई दिसंबर से जनवरी एवं जून से अगस्त-सितम्बर माह में कर सकते है।
भिण्डी सुप्रिया(BHINDI SUPRIYA)
यह येलोवेन वायरस के प्रति सहनशील किस्म है। इस भिण्डी की फलियों की गाँठें काफी कम अंतराल पर होती हैं। भिण्डी पतला,औसत लंबाई युक्त(मार्केट के लिए उपयुक्त )दानें उभरते नहीं है। प्रथम तुड़ाई ४५ से ५० दिनों में कर सकते है। इसकी बोवाई दिसंबर से फरवरी एवं बरसात के मौसम में अप्रैल से जुलाई माह में कर सकते है।
खीरा काशी उत्सव((Cucumber KASHI UTSAV)
गर्मी एवं वर्षाकाल दोनों मौसम के लिए उपयुक्त उत्तम खीरा है। इसके फल सीधे ८ से १० इंच लंबे फल हल्के हरे तथा सफेदी लिए हुए (देशीखीरेटाइपकलर) हल्की लाइनिंग युक्त होते हैं। इसकी प्रथम तुड़ाई ४५ से ५० दिनों में कर सकते है।
खीरा शुभांजलि ४०(Cucumber SHUBHANJALI-40)
यह गर्मीकाल के लिए अगेती किस्म का खीरा है। फल की औसत लंबाई ६ से ८ इंच होती है। फल ४० से ४५ दिन में आ जाते हैं। खीरा सीधा ,बेलनाकार हल्की हरी धारियों से युक्त हल्के हरे (सफेदीलिएहुए) रंग की होती है। इसे दिसंबर से मार्च तथा मई से जून माह में लगाया जा सकता है।
गाजर देशी रेड (रत्ना)(Carrot Deshi Red RATNA)
यह पंजाब के इन्द्री नामक देशी वेरायटी के सेलेक्शन के उपरांत तैयार की गई है। यह सुंदर लाल सुर्ख रंग का स्वादिष्ट व मीठा होता है। इसमें बाह्य रेशे ना के बराबर होते हैं। यह लंबी साइज का सुंदर गाजर होता है। इस गाजर का मार्केट वैल्यू अधिक है तथा डिमांड अति उत्तम है।
बैंगन गोल बारहमासी – १४(Brinjal Round BARAHMASI-14)
यह बनारसी (Traditional) किस्म है। यह चोखा खाने के लिए सबसे अच्छी लोकल किस्म है क्योंकि इसके गूदे में बीज की मात्रा कम तथा गुदा काफी मुलायम होता है। इसका रंग काफी आकर्षक बैंगनी होती है। फल का औसत वजन २५० से ४०० ग्राम का होता है। अन्य प्रचलित देशी या हायब्रिड किस्मों से ज्यादे फल लगते हैं। लंबी अवधि तक फल आते रहते हैं।
चौलाई हरी पत्ती CHAULAI SARNATH(Hari Patti)
इसके पत्ते हरे तथा गोल आकार के होते है। लेट बोल्टींग के कारण कई बार कटिंग भी होता है।
पालक आलग्रीन(पूसा ज्योति -३१)PALAK ALLGREEN(Pusha Jyoti-31)
यह हरे डंठल वाला चौड़े गद्देदार हरे पत्ते वाला पालक है। इसकी कटाई भी की जा सकती है।
कुम्हणी सारनाथ चक्री(Pumpkin Barahmasi Sarnath Chakri)
यह संशोधित किस्म है। हल्की हरी धारियों से युक्त है। फल चपटे औसत २.५ से ३.५ किग्रा के होते हैं। अत्यधिक फल एवं उत्पादन देनेवाली किस्म है। इसको गर्मी एवं वर्षाकाल दोनों मौसम में लगाया जा सकता है। एक पौधे में १० से १३ फल तक लगते है।
इसके अलावा भिण्डी वी.आर.ओ-६, वी.आर.ओ-१०, लोबिया सी.पी-३, सी.पी-४,चितला दाना,गोमती, कुम्हणी –काशी हरित, बैंगन -काशी तरू ,कोमल,संदेश, लौकी –जी-२,तरोई-पूसा चिकनी, भिण्डी –अरकाअनामिका,ककड़ी-लखनऊ सेलेक्शन ,मूली-पूसा चेतकी लांग,मूली-चाइना चेतकी लांग के भी बीज उन्नत किस्म के उपलब्ध है।